tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post6500301722164002016..comments2023-04-26T08:16:39.306-07:00Comments on आज़ाद लब azad lub: क्या आर्यों का 'पणि' सिंधु सभ्यता से आया?विजयशंकर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-54493626675981682132014-04-11T01:26:51.754-07:002014-04-11T01:26:51.754-07:00- इस सन्दर्भ मे १०-११ मार्च २०१४ को लन्दन से भा...- इस सन्दर्भ मे १०-११ मार्च २०१४ को लन्दन से भारतिय मुल के पुराजल्वायु विशेशग्य के नेत्रुत्व मे शोधपत्र जियालौजि- १ मे प्रकाशित हुआ इसमे कहा गया है कि लगभग ४२०० साल पहले २०० सालो के भयङ्कर दुर्मिक्श सुखा, अकाल के कारन सिन्धु सभ्यता तबाह हुइ। सिन्धु के उत्तर पशिम स्थित कोतल दाहर नामक प्राचिन झिल के गाद स्तर् का अध्य्यन मे रेदिओ कार्बन का इस्तेमाल किया गया,,,,,,?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13035413975681078880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-82970100435897868762008-05-07T17:15:00.000-07:002008-05-07T17:15:00.000-07:00Vijay bhai, dhanyvaad aapka jo aapne bachhe ke liy...Vijay bhai, dhanyvaad aapka jo aapne bachhe ke liye socha. Aap sehyog kar rahe hain ye maayne rakhta hai kitna isse fark nahi parta.<BR/><BR/>Main aapko bank ki detail mail kar doonga, aapki jitni shradha ho bhej dijeyga. <BR/><BR/>ek baar phir dhanyvaadTarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-29374384110088613932008-05-06T12:01:00.000-07:002008-05-06T12:01:00.000-07:00बेंगाणीजी और घोस्ट बस्टर जी, आपकी भावनाओं की मैं ब...बेंगाणीजी और घोस्ट बस्टर जी, आपकी भावनाओं की मैं बेहद कद्र करता हूँ. लेकिन यह इतिहास है और इतिहास निर्मम होता है. इसे कपोलकल्पित कथाओं से कहीं ज़्यादा प्रामाणिक माना जाता है. जो नस्लें अपने इतिहास से नहीं सीखती हैं वे तरक्की नहीं करतीं और बार-बार पिछली भूलें दोहराती रहती हैं.<BR/><BR/>प्राचीन मानव सभ्यताओं के विकास को भावुकता से नहीं आँका जाता. इसके लिए हमारे सामने अभिलेख (स्तंभों, शिलाओं, गुफाओं, ताम्रपत्रों इत्यादि में उकेरे गए) , सिक्के, मूर्तियाँ, उत्खनन से प्राप्त दूसरी वस्तुएं, विदेशी यात्रियों के वर्णन, धर्म-निरपेक्ष साहित्य (जैसे कौटिल्य का अर्थशास्त्र, वाणभट्ट का हर्षचरित, मेगस्थनीज की इंडिका आदि-आदि) तथा भग्नावशेष वगैरह के सबूत बिखरे पड़े हैं.<BR/><BR/>यहाँ तक कि अगर प्राचीन धार्मिक ग्रंथों का चश्मा उतार कर अध्ययन किया जाए तो अनेक ऐतिहासिक तथ्य मिल जायेंगे. बिम्बसार से पूर्व का राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक इतिहास जानने का मुख्य स्रोत वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक, पुराण तथा उपनिषद् हैं. <BR/><BR/>बौद्धों के जातक ग्रंथों को भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. इनमें महात्मा बुद्ध के जन्म-जन्मान्तरों का वर्णन भले ही है लेकिन उसमें इतिहास दृष्टि झलकती है. 'दीपवंश' तथा 'महावंश' प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ हैं. इनमें अशोक महान तथा मौर्यकालीन शासन एवं राज्य व्यवस्था का वर्णन मिलता है. प्रमुख बौद्ध ग्रंथों विनयपिटक, अभधम्मपिटक तथा सुत्तपिटक में गौतम बुद्ध के उपदेशों के साथ-साथ तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं का भी वर्णन है. 'रामायण' तथा 'महाभारत' धार्मिक ग्रन्थ होने के बावजूद अपने काल की सामाजिक तथा सांस्कृतिक दशा पर पर्याप्त प्रकाश डालते हैं.<BR/><BR/>आप द्रविड और आर्यों को एक करके देखना चाहते हैं तो इसमें मैं क्या कह सकता हूँ. कई विद्वान ऐसे भी हैं जो आर्यों का मूल स्थान यूरोप मानते हैं. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक मानते थे कि आर्य ज़्यादा बर्फ़ पड़ने के कारण उत्तरी ध्रुव (आर्कटिक) से भारत की तरफ चले आए थे, स्वामी दयानंद सरस्वती का सिद्धांत था कि आर्य तिब्बत की तरफ से आए थे. लेकिन इन सिद्धांतों की पुष्टि के लिए उनके पास पर्याप्त और विश्वसनीय प्रमाण नहीं थे वरना तिलक और स्वामी दयानंद जैसी हस्तियाँ कुछ कहें और उसे लोग न मानें, वह उस काल में सम्भव नहीं था. इसीलिए भावुकता से इतिहास तय नहीं होता. <BR/><BR/>मैं अधिक विस्तार में नहीं जाऊंगा वरना एक और लेख तैयार हो जायेगा; लगभग हो ही गया है! <BR/><BR/>राय देने के लिए आपको कोटिशः धन्यवाद! <BR/>वैसे दिनेशराय द्विवेदी जी ने काम की बात की है. उन्हें साधुवाद!विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-26015258901502628282008-05-06T11:07:00.000-07:002008-05-06T11:07:00.000-07:00आर्यों और सिन्धु सभ्यता के मध्य संघर्ष का विजुवलाइ...आर्यों और सिन्धु सभ्यता के मध्य संघर्ष का विजुवलाइजेशन अनुभव करना हो तो डॉ. रांगेय राघव का उपन्यास "मौत का टीला" पढ़ लें। प्रमाण चाहते हों तो दामोदर धर्मानन्द कौसम्बी की पुस्तक "भारत का प्राचीन इतिहास और संस्कृति" पढ़ लें।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-2019446908395784072008-05-06T11:03:00.000-07:002008-05-06T11:03:00.000-07:00हम आप से सहमत हैं, बैंगाणी जी से नहीं। बैंगाणी जी ...हम आप से सहमत हैं, बैंगाणी जी से नहीं। बैंगाणी जी की सोच सिर्फ सोच है, हकीकत नहीं। आर्यों ने द्रविड़ों पर विजय प्राप्त करने के बाद उन पर सांस्कृतिक विजय भी प्राप्त करनी चाही। आज की घालमेल हिन्दू संस्कृति उसी की देन है। लेकिन फिर भी हिन्दू संस्कृति में प्रभुत्व उसी प्राचीन और विकसित द्रविड़ संस्कृति के तत्वों का ही है। वह जन जन में इतनी गहरी पैठी हुई है कि कैसे भी नहीं निकल पा रही है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-31845326530613912172008-05-06T01:56:00.000-07:002008-05-06T01:56:00.000-07:00आर्य आक्रमण की गढ़ी हुई कहानी आपकी जैसी प्रखर लेखन...आर्य आक्रमण की गढ़ी हुई कहानी आपकी जैसी प्रखर लेखनी का साथ पाकर बड़ा ही प्रभावकारी रूप ले लेती है.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-58398335486152945112008-05-05T22:21:00.000-07:002008-05-05T22:21:00.000-07:00कभी आर्य और द्रविड़ को अलग अलग न मान कर भी सोचे. पर...कभी आर्य और द्रविड़ को अलग अलग न मान कर भी सोचे. परिणाम आश्चर्यजनक दिखेंगे.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-90331117300263925052008-05-05T21:19:00.000-07:002008-05-05T21:19:00.000-07:00दूर की कौडी नहीं बल्कि आपके लेख के 90% या अधिक अनु...दूर की कौडी नहीं बल्कि आपके लेख के 90% या अधिक अनुमान एकदम सही है. <BR/><BR/>सिक्कों पर कुछ और लिखें तो अच्छा होगा -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<BR/>http://www.Sarathi.infoShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.com