tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post7805036686034020963..comments2023-04-26T08:16:39.306-07:00Comments on आज़ाद लब azad lub: उनकी टिप्पणी पर टिप्पणी!विजयशंकर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-45144863835498371952008-01-11T07:25:00.000-08:002008-01-11T07:25:00.000-08:00"हाँ, आपकी एक बात से मैं असहमत होना चाहता हूँ कि क..."हाँ, आपकी एक बात से मैं असहमत होना चाहता हूँ कि किसी समाज संरचना विशेष में यह भेद करना ग़लत होगा कि फलां अच्छा है या बुरा। अगर यही बात है तो हम मौजूदा समाज व्यवस्था में इतनी माथा-पच्ची करने क्यों बैठे हुए हैं? क्यों नहीं मान लेते कि शोषणकर्ता और शोषक एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।"<BR/><BR/>एक वाक्य में आप कितना कुछ कह गये. आभार. इस तरह के सशक्त लेखन कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बातें कह जाते हैं.Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-46733275833082486652008-01-11T06:13:00.000-08:002008-01-11T06:13:00.000-08:00केवल साम्यवाद (आदिम या आगत) को छोड़ कर सभी सामाजिक...केवल साम्यवाद (आदिम या आगत) को छोड़ कर सभी सामाजिक संरचनाओं के केन्द्र में अर्थसत्ता-शक्ति ही है। पूंजीवाद में वह पूंजी में परिवर्तित हो जाती है। और लालच को काबू कर सचाई के साथ चलने वाले भी हर सामाजिक संरचना में मिल जाऐंगे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com