tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post8003428889801503184..comments2023-04-26T08:16:39.306-07:00Comments on आज़ाद लब azad lub: तुझे सोमरस कहूं या शराब? (भाग-२)विजयशंकर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-59480345231104832982008-06-02T02:32:00.000-07:002008-06-02T02:32:00.000-07:00विजय जी अपने निजि जरूरि काम जैसे ड्युटी ,कैरम खेलन...विजय जी अपने निजि जरूरि काम जैसे ड्युटी ,कैरम खेलना ,टी.वी. देखना इत्यादि से निवृत्त होने के बाद का समय ही हम ब्लाग पढने मे अर्पण कर पाते है इसिलिये आप के दर पर जरा देर से पहुचे है पर जब पहुचे है तो क्या खुब पहुचे है मयखाना सजा है !! वैसे अब आना होता ही होगा <BR/><BR/>रहा सवाल सोमरस का तो अनुभवगत तथ्य यह् है कि सोमरस पान करने वाले अस्सी प्रतिशत व्यक्ती दील से साफ़ होते है क्योकि अंदर कुछ छुपाने को रहता ही नही और छुपता ही नही ॥किसी ने खुब कहा है ना<BR/>मंदिर मस्जीद भेद कराते<BR/>मेल कराती मधुशाला <BR/><BR/>देखिये अपना मेल हो गया ना........दीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-51439209355283429262008-06-01T05:50:00.000-07:002008-06-01T05:50:00.000-07:00दोनों पांडेवरों को प्रणाम! संदीपन मुनि आश्रम के तत...दोनों पांडेवरों को प्रणाम! संदीपन मुनि आश्रम के तत्कालीन रीडर सनके दिक् मुनि ने लोर्ड बायरन को ज्ञान दिया था- "Alchohol can help to forget everyting except secrets!" <BR/>आगे को बायरन ने इसका लाभ इस काव्य-रचना में उठाया.<BR/>...और वरिष्ठ पांडेश्री, सोमरस के भांड में वैधानिक चेतावनी नहीं होती थी! कृपया लोग अपने विवेक से काम लें!विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-14585152228679043582008-05-31T23:07:00.000-07:002008-05-31T23:07:00.000-07:00हमारे एम ए के कोर्स में लॉर्ड बायरन की एक कविता लग...हमारे एम ए के कोर्स में लॉर्ड बायरन की एक कविता लगा करती थी 'द डिफ़ॉर्म्ड ट्रान्स्फ़ॉर्म्ड' जिसमें एक पंक्ति थी: "What's drinking?<BR/>A mere pause from thinking!"<BR/><BR/>मुझे लगता है मुनि सनके दिक और बायरन के कुलगुरु एक ही थे. कृपया सन्देह का निराकरण करें ऋषिश्रेष्ठ!Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-18736811445230559292008-05-31T19:01:00.000-07:002008-05-31T19:01:00.000-07:00मदिरा तो हमारे लिये "बन्दर और अदरक का स्वाद" जैसी ...मदिरा तो हमारे लिये "बन्दर और अदरक का स्वाद" जैसी है।<BR/>आपने लिखा बहुत मेहनत से और स्तर का है। <BR/>बस यही डर है कि इससे मोटीवेट हो कुछ लोग पीने न लग जायें! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com