tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post3255991954238255245..comments2023-04-26T08:16:39.306-07:00Comments on आज़ाद लब azad lub: 'खबरों' का सिलसिला लगातार 'ज़ारी' क्यों है?विजयशंकर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-75639974891586339862008-07-19T01:12:00.000-07:002008-07-19T01:12:00.000-07:00गांव गया था देर से पढा इसके लिये माफी ..मजा आ गया...गांव गया था देर से पढा इसके लिये माफी ..मजा आ गया ..चैनल वालों ने तो भाषा की बैंड बजा दी है ..मुफ्त में आपने प्रसाद बांट दिया देखना है इसको अमल में सबसे पहले कौन लाता है।कुमार आलोकhttps://www.blogger.com/profile/05450754013929589504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-62719951399585701512008-07-02T05:02:00.000-07:002008-07-02T05:02:00.000-07:00विजय जी , वे सब मानते और जानते हैं ......पर दुखद ह...विजय जी , वे सब मानते और जानते हैं ......पर दुखद है कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण मुद्दा ही नही है ।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-43305064650291906032008-07-02T04:42:00.000-07:002008-07-02T04:42:00.000-07:00सही चीज़ पकड़ी है । लेकिन खुद को महापंडित माननेवाल...सही चीज़ पकड़ी है । लेकिन खुद को महापंडित माननेवाले ये लोग अपनी गलती न तो मानेंगे और न सुधारेंगे- subhash davesubhash davehttps://www.blogger.com/profile/10468682499963700767noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-67694103868239747312008-07-02T02:00:00.000-07:002008-07-02T02:00:00.000-07:00अशोक भाई, अजित भाई, समीर जी, सुजाता जी, टीवी समाच...अशोक भाई, अजित भाई, समीर जी, सुजाता जी, टीवी समाचार वाले पहले ये मानें तो कि कहीं कुछ गड़बड़ है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-44000811608914198332008-07-01T22:37:00.000-07:002008-07-01T22:37:00.000-07:00हिन्दी खबर चैनलों की भाषा बहुत फूहड़ और दयनीय है इ...हिन्दी खबर चैनलों की भाषा बहुत फूहड़ और दयनीय है इसमें कोई शक नही ! <BR/> अशोक जी की बात से भी सहमत हूँ !सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-76523645010183934322008-07-01T17:24:00.000-07:002008-07-01T17:24:00.000-07:00काहे मुफ्त बांट रहे हैं मेरे भाई. बहुत मूल्यवान सल...काहे मुफ्त बांट रहे हैं मेरे भाई. बहुत मूल्यवान सलाहें हैं. कुछ तो चार्ज रखिये. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-40418039478903179872008-07-01T12:04:00.000-07:002008-07-01T12:04:00.000-07:00अशोक भाई, फिर ज़ारी के बाद सब जाहिर कर देते हैं :)...अशोक भाई, फिर ज़ारी के बाद सब जाहिर कर देते हैं :)<BR/>विजय जी मजेदार है ये पोस्ट। मगर आपके मुफ्त के वाक्य कोई भी लेने नहीं आएगा। <BR/>जहां इन लोगो के लिए प्राणी विशेष का नाम लेने की बात है , अशोक जी ने बेचारे बैसाखनंदन की बेइज्जती कर दी है। वो बेचारा तो वहीं चरित्र निभा रहा है जो उसे ईश्वर ने दिया है। मेहनती है, ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं सुनाता। सिलसिले को लगातार जारी नहीं रखता है बल्कि जारी रखने के लिए "लगा" रहता है। <BR/>बैसाखनंदन नाम का प्राणी अपने मालिक की उस अंदाज़ में अनदेखी नहीं करता जिस अंदाज़ में "वे" प्राणी अपने मालिक यानी दर्शकों की करते हैं। दर्शक उनसे जिस राह चलने की उम्मीद करता है , उसके उलट वे चल रहे हैं। <BR/>वे कुछ और हो सकते हैं , गधे तो नहीं हो सकते ।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-48913908009618285292008-07-01T10:26:00.000-07:002008-07-01T10:26:00.000-07:00गधों की क्यों बात करते हैं विजय भाई? एक तो 'जारी' ...गधों की क्यों बात करते हैं विजय भाई? एक तो 'जारी' को सब के सब 'ज़ारी' कहते हैं ... <BR/><BR/>चलने दीजिये उनका व्याकरण/उच्चारण. हमारा अपना चलेगा. <BR/><BR/>मुझे ज़्यादातर न्यूज़रीडरों को देखकर बहुत अजीब सा भाव महसूस होता है. किसी लिजलिजे कीचभरे लौंदे को देखने का सा. ऐसे लौंदे कम-अज़-कम मेरी चिन्ताओं के विषय नहीं बनते. <BR/><BR/>मैं कहता हूं "Let the people grow into good viewers first". सब कुछ अपने आप जल्दी-जल्दी फ़िट-फ़ाट हो जाएगा.Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.com