tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post6018023407014481448..comments2023-04-26T08:16:39.306-07:00Comments on आज़ाद लब azad lub: भारतीय भाषाओं का भविष्य: मुम्बई में एक गोष्ठीविजयशंकर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-31700601692655792852008-05-25T06:06:00.000-07:002008-05-25T06:06:00.000-07:00कुमार आलोक जी आपने सही कहा है. विश्व हिन्दी सम्मेल...कुमार आलोक जी आपने सही कहा है. विश्व हिन्दी सम्मेलन की विस्तृत रपट राहुल देव जी ने जब अपने ब्लॉग पर डाली थी तब मैंने कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की थी उनके ब्लॉग पर. आपके अवलोकन के लिए यहाँ दे रहा हूँ--<BR/><BR/>'राहुलजी, अच्छी बात यह लगी कि आपने इस स्तर के सम्मेलनों के लिए एक सम्यक दृष्टि देने की उम्दा कोशिश की है. बिना दृष्टि के ऐसे कार्यक्रम सफ़ेद हाथी बनकर रह जाते हैं. <BR/>मुझे कुछेक बातें अनावश्यक लगीं हैं. मसलन, साहित्यकारों से तौबा करने या निजी स्थिति पर सफाई देने वाला प्रसंग. इस बात से किसे ऐतराज हो सकता है कि अन्य क्षेत्रों के लोग भी शामिल होने चाहिए, लेकिन ध्यान रखना होगा कि वह भाषा का सम्मेलन है; उसकी चुनौतियों का विमर्श वहाँ होना है न कि विषय-बाहुल्य का. अगर हिन्दी समाज की अब तक यही समझ बनी हुई है कि साहित्यकार सिर्फ़ स्वप्नजीवी होता है तो किया ही क्या जा सकता है? सवाल यह है कि आप किन लोगों को वहाँ लादकर ले जाते हैं. आपकी टिप्पणी खुद-ब-खुद चित्र स्पष्ट कर देती है- 'मूल समस्या दरअसल आयोजकों की प्रकृति, पात्रता, गंभीरता और दृष्टि की ही है।'<BR/><BR/>-विजयशंकर चतुर्वेदीविजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-31515523746023258942008-05-25T06:02:00.000-07:002008-05-25T06:02:00.000-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-73741580824008497812008-05-25T03:58:00.000-07:002008-05-25T03:58:00.000-07:00आप ने जो बोला उस सभा में उसको पहले प्रकाशित करना च...आप ने जो बोला उस सभा में उसको पहले प्रकाशित करना चाहिए था ..क्या आपको लगता है कि इस तरह के सम्मेलनों से हिन्दी या उदुॆ का भला होने वाला है।विश्व हिँदी सम्मेलन होता है कैसे कैसे लोग जाते है वहाँ हिन्दी की दशा और दिशा तय करने ...मत फूछिये मुख्य अतिथी का उद्घघाटन भाषा अंग्रेजी में हुआ..हंसते हंसते पेट फूल गया ...पूरा फुटेज मेरे पास था मुझे एक बढिया फैकेज बनाने के लिए बोला गया ..मैनें बनाया बाइट लगाइ उसी मान्यवर की अंग्रेजी में बाइट चल रही थी और स्क्रीन पर (सीजी ) हिँदी में चल रहा था ..आप ने चिँता जतायी है वाजिब है आप इमानदारी से कुछ करना चाहते है इस एरिया में तो हम आपके पिछे खडे है।कुमार आलोकhttps://www.blogger.com/profile/05450754013929589504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-62528225113359309322008-05-24T23:15:00.000-07:002008-05-24T23:15:00.000-07:00इस सार्थक प्रयास को धन्यवाद ! इस्की रिपोर्ताज के ल...इस सार्थक प्रयास को धन्यवाद ! इस्की रिपोर्ताज के लिये आपको धन्यवाद!<BR/><BR/>ऐसे विचार विमर्श होते रहेंगे तभी इस देश का कल्याण सुनिश्चित होगा।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/00509099108292716439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-17572535182505283732008-05-24T23:00:00.000-07:002008-05-24T23:00:00.000-07:00हिन्दी साहित्य के भविष्य के सन्दर्भ मी आयोजित गोष्...हिन्दी साहित्य के भविष्य के सन्दर्भ मी आयोजित गोष्टी का सार हम सब तक बांटने के लिए आपका आभारी हूँसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-60356531903439428362008-05-24T20:32:00.000-07:002008-05-24T20:32:00.000-07:00हिन्दी का ही उपयोग करें, देवनागरी का उपयोग करें। ज...हिन्दी का ही उपयोग करें, देवनागरी का उपयोग करें। जब तक मजबूरी न हो अंग्रेजी का उपयोग न करें। हिन्दी का भविष्य अच्छा है। उसे और अच्छा बनाएँ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-44030259740501062742008-05-24T19:54:00.000-07:002008-05-24T19:54:00.000-07:00पता नहीं आसन्न संकट है भी या नहीं। भाषायें तो विका...पता नहीं आसन्न संकट है भी या नहीं। भाषायें तो विकासवाद के नियम से चलेंगी। नये युग में हिन्दी को नेट फेण्डली बनायें तो वह संकट से उबरेगी।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com