tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post7819189781401416036..comments2023-04-26T08:16:39.306-07:00Comments on आज़ाद लब azad lub: तलछट-२: मैं तेलिया लिबास में पुरज़े सुधारता हूँविजयशंकर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-87225314802576609212007-12-07T08:03:00.000-08:002007-12-07T08:03:00.000-08:00पता नहीं कहाँ कहाँ घूम कर आप तक पहूँचा, अभी तेलिया...पता नहीं कहाँ कहाँ घूम कर आप तक पहूँचा, अभी तेलिया लिबास...२ ही पढ़ी और दिल को छू गई। कई बार इस तरह लगा मानों मेरी आँखों के सामने यह हारा दृश्य चल रहा हो।<BR/>अंतिम पंक्तियाँ.. क्या कहूं शब्द ही नही बचे। <BR/>बहुत सुन्दर लेखनी है आपकी, कल फुर्सत में सारे लेख पढ़ूंगा।<BR/><A HREF="http://www.nahar.wordpress.com/" REL="nofollow">॥दस्तक॥</A><BR/><A HREF="http://www.mahaphil.blogspot.com/" REL="nofollow">गीतों की महफिल</A>सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-44740128975111089232007-12-07T01:25:00.000-08:002007-12-07T01:25:00.000-08:00धन्यवाद अफलातून जी! नेट की समस्या खड़ी हो गयी थी इस...धन्यवाद अफलातून जी! नेट की समस्या खड़ी हो गयी थी इसलिए चेक नहीं कर सका. क्षमा कीजियेगा. अब ठीक दिख रहा है.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-79605960137394555972007-12-06T22:18:00.000-08:002007-12-06T22:18:00.000-08:00कहानी पढ़ी।आपने छापने के पहले नहीं पढ़ी।एक अनुच्छेद ...कहानी पढ़ी।आपने छापने के पहले नहीं पढ़ी।एक अनुच्छेद तीन बार आया।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.com