tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post8005046787498732710..comments2023-04-26T08:16:39.306-07:00Comments on आज़ाद लब azad lub: 'रिजेक्ट माल' में छपे लेख का जोड़ उर्फ़ भय को भूत न बनाएंविजयशंकर चतुर्वेदीhttp://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-8094440018916494932008-04-25T06:59:00.000-07:002008-04-25T06:59:00.000-07:00bilkul sahi baat kah rahe hain aap. news channels ...bilkul sahi baat kah rahe hain aap. news channels mein bhi is tarah ki bhoop pret ghatnaon ko dikhaya jaa raha hai aur baad mein wah ka khandan bhi nahin karte. nischit hi baccho ke komal man par iska asar padta hai.maine haal mein bahut si ghunghruon wali pajeb pahni the, mere ghar me bacche manjulika bol ke aise saham gaye ki mujhe unhein samjhane aur unka dar dooor karne mein kaafi waqt lag gaya.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-54343347579197435842008-04-25T03:58:00.000-07:002008-04-25T03:58:00.000-07:00विजय जी आपकी बात मैं समझ नहीं पाया कि आख़िर आपको ...विजय जी आपकी बात मैं समझ नहीं पाया कि आख़िर आपको ऐसा क्यों लगा कि मैंने अपने अनुभव किसी बात को साबित करने की जिद में लिखे हैं. दरअसल, मैनें भूतों का मेला के बारे में पूजा के ब्लौग पर पढ़ा तो मैनें फ़ोन कर व्यक्तिगत रूप से उन्हें अपने अनुभव के बारे में बताया. फिर मैनें सोचा कि अपने अनुभवों को ज़्यादा लोगों से बांटना चाहिए, इसलिए इसे रेजेक्ट्माल पर डाल दिया. इसमें किसी बात को साबित करने की जिद तो बिल्कुल नहीं थी. मुझे जो लगा, सहज-सरल रूप में लिख दिया. भूतों के पीछे के मनोविज्ञान के सन्दर्भ में कई बातें हो सकती हैं, मसलन रूढीयाँ, अशिक्षा, आदि आदि. विजय जी अगर आप बात को तफसील से समझाते तो मुझे पता चल पाता कि ये बातें आख़िर आपको जिद के तहत लिखी हुई क्यों लगी और शायद मैं अपनी गलती को सुधारने की कोशिश कर पाता. अभी बस इतना ही. वैसे मैं एक बार फ़िर साग्रह कह रहा हूँ कि ये लिखा हुआ जिद के तहत नही था. अगर आपको ऐसा लगा तो ये मेरे लेखन की खामी है, नीयत की खोट नहीं.राजीव रंजन श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/05690977738666900194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4194829957225159901.post-24893964086512682682008-04-20T22:32:00.000-07:002008-04-20T22:32:00.000-07:00विजयशंकर जी, बात को आगे ले जा कर आपने विमर्श के दा...विजयशंकर जी, बात को आगे ले जा कर आपने विमर्श के दायरे केा आगे बढ़ाया है जो सराहनीय है। वाकई भूत प्रेतों के नाम पर महिलाओं (या बच्चों और पुरूषों) के शोषण के पीछे एक बड़े वर्ग की एक प्रकार की वीभत्स और भयाग्रस्त मानसिकता काम करती है। इससे निजात पाना जरूरी है।Pooja Prasadhttps://www.blogger.com/profile/06905471603653467131noreply@blogger.com