आज पेश-ए-खिदमत हैं दकन के मजाहिया शायर शमशेर कुंडागली के चंद अश'आर (एक मुशायरे में सुने थे दस साल पहले)
काम ख़ुद उन बुरा किए साले
नाम मेरा बता दिए साले
धुन में रम्मी की बीडियाँ पीको
मेरा बिस्तर जला दिए साले
गद्धे का पूं उने मुबारक भई
मेरा बाजा बजा दिए साले
खेत की देखभाल तो छोडो
बाड़ रहे सो जला दिए साले
नाम से रोशनी के क्या बोलूँ
मेरी कथडी जला दिए साले
मेड इन इंग्लैंड बोलको व्हिस्की
थू-थू देसी पिला दिए साले
मुर्गियां मेरी काटको खा गए
दाल मुझको खिला दिए साले
खुत्ते सब बस्ती के मुझे काटतईं
पीछे पुच्छा लगा दिए साले
(खिसियानी बिल्लियों के लिए खम्भा सादर समर्पित).
अच्छा लगा शमशेर कुंडागली को पढ़ना. आभार.
जवाब देंहटाएंbahut badhiya badhai ji
जवाब देंहटाएंगजब के तेवर हैं भाई ...
जवाब देंहटाएंसजीव सारथी
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क्या चतुर्वेदी जी संसद का झटका लग गया है क्या ?बडे दिनो बाद लिखी और गाली लिख दी !हा हा हा
जवाब देंहटाएंसत्य कहा आपने और क्या है हमारे बस मे
मज़ेदार हुजूर..ये दक्कनी तड़का तो अलग अंदाज का लगा !
जवाब देंहटाएंखुत्ते सब बस्ती के मुझे काटतईं ... विजय भाई, यही आजकल मेरी भी परेशानी है.
जवाब देंहटाएंआनन्द आया.
are minya, musalle ho to vahi yaad rakhoge na. shail chaturvedi jo tumhare baap ke barabar tha usake kavitayen kyon yaad rakhoge? usase bada haasy kavi koee huee hai kyaa/
जवाब देंहटाएंखेत की देखभाल तो छोडो
जवाब देंहटाएंबाड़ रहे सो जला दिए साले
बहुत खूब ...इंसानों की फितरत वर्तमान दौर में शायद ऐसी ही हो गइ ...लेकिन ऐसे लोगों के लिये ये भदेस पंक्तियां पेशे खिदमत है ..जो तोको कांटा बुए ..ताहि बोये तू भाला ..तब ससुरा को पता चलेगा ..पडा किसी से पाला ...
बाप रे बाप ! इतना गुस्सा चतुर्वेदी जी ! मगर आप इतनी शराफत दिखाते क्यों रह गए !
जवाब देंहटाएं"आप लल्लू से क्यों रहे बैठे
और वे घर जला गए साले"
बहुत मजाकिया पर सही रचना है. धन्यवाद सबसे बांटने के लिए.
जवाब देंहटाएंप्रभुजी - ये तो ठीक है - अब कुछ वैसा भी पढाएं जैसा पांडे जी ने समय पहले कबाड़खाने में पढाया - क्या कहते हैं ? - मनीष
जवाब देंहटाएंमजेदार है पहली नजर में, दूसरी में करूणा जगाती, तीसरी में दुःख और चौथी में प्रतिरोध।
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