महामना डॉक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह महत्वपूर्ण लेख पिछले दिनों मेरे हाथ लगा। ज्योतिष के क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम सम्पर्क पर उनसे बढ़कर भला और कौन लिख सकता था? लेख का आरंभिक अंश आप सबको पढ़वाने की सोची है।
- विजयशंकर चतुर्वेदी।
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मेरी नई ग़ज़ल
प्यारे दोस्तो, बुजुर्ग कह गए हैं कि हमेशा ग़ुस्से और आक्रोश में भरे रहना सेहत के लिए ठीक नहीं होता। इसीलिए आज पेश कर रहा हूं अपनी एक रोमांटि...
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आप सबने मोहम्मद रफ़ी के गाने 'बाबुल की दुवायें लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले' की पैरोडी सुनी होगी, जो इस तरह है- 'डाबर की दवा...
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साथियो, इस बार कई दिन गाँव में डटा रहा. ठंड का लुत्फ़ उठाया. 'होरा' चाबा गया. भुने हुए आलू और भांटा (बैंगन) का भरता खाया गया. लहसन ...
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इस बार जबलपुर जाने का ख़ुमार अलग रहा. अबकी होली के रंगों में कुछ वायवीय, कुछ शरीरी और कुछ अलौकिक अनुभूतियाँ घुली हुई थीं. संकोच के साथ सूचना ...
मैं तैलिया लिबास .... पढ़ा. मुम्बैया ज़िंदगी के जानने का, बल्कि कहें तो देखने का मौका इसमे मौजूद है. आज की मुम्बई मैंने भी नजदीक से देखी है और देख रहा हूँ. माइग्रंट्स के बहुत ख़राब हालात हैं. उसमें भी जो बेरोजगार तबके के माइग्रंट्स हैं उनके तो और भी बुरे. कहते हैं मुम्बई में कोई भूखा नहीं मर सकता, ये बात मानी जा सकती है लेकिन उसके पीछे मुझे लगता है मुख्य कारण ये है कि यहाँ लोग भीख देने में पीछे नहीं है. भिखारियों का टर्न ओवर किसी मीडियम क्लास आदमी से ज़्यादा होता होगा. बहर हाल कहानी अच्छी है. वेब पेज काफ़ी सहूलियतों से भरा हुआ है. कुछ जानकारी आचार्य चतुरसेन के कृतित्व पर प्रकाशित करें तो अच्छा होगा. इसके अलावा एक नया अंग्रेज़ी naavel ONE NIGHT AT THE CALL CENTER BY CHETAN BHAGAT पढ़ा था, वह भी metro की ज़िंदगी पर केंद्रित है. jarur पढ़ें- अभिषेक tripathi
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