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मेरी नई ग़ज़ल
प्यारे दोस्तो, बुजुर्ग कह गए हैं कि हमेशा ग़ुस्से और आक्रोश में भरे रहना सेहत के लिए ठीक नहीं होता। इसीलिए आज पेश कर रहा हूं अपनी एक रोमांटि...
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आप सबने मोहम्मद रफ़ी के गाने 'बाबुल की दुवायें लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले' की पैरोडी सुनी होगी, जो इस तरह है- 'डाबर की दवा...
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साथियो, इस बार कई दिन गाँव में डटा रहा. ठंड का लुत्फ़ उठाया. 'होरा' चाबा गया. भुने हुए आलू और भांटा (बैंगन) का भरता खाया गया. लहसन ...
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इस बार जबलपुर जाने का ख़ुमार अलग रहा. अबकी होली के रंगों में कुछ वायवीय, कुछ शरीरी और कुछ अलौकिक अनुभूतियाँ घुली हुई थीं. संकोच के साथ सूचना ...