आज पेश-ए-खिदमत हैं दकन के मजाहिया शायर शमशेर कुंडागली के चंद अश'आर (एक मुशायरे में सुने थे दस साल पहले)
काम ख़ुद उन बुरा किए साले
नाम मेरा बता दिए साले
धुन में रम्मी की बीडियाँ पीको
मेरा बिस्तर जला दिए साले
गद्धे का पूं उने मुबारक भई
मेरा बाजा बजा दिए साले
खेत की देखभाल तो छोडो
बाड़ रहे सो जला दिए साले
नाम से रोशनी के क्या बोलूँ
मेरी कथडी जला दिए साले
मेड इन इंग्लैंड बोलको व्हिस्की
थू-थू देसी पिला दिए साले
मुर्गियां मेरी काटको खा गए
दाल मुझको खिला दिए साले
खुत्ते सब बस्ती के मुझे काटतईं
पीछे पुच्छा लगा दिए साले
(खिसियानी बिल्लियों के लिए खम्भा सादर समर्पित).