गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो

आपको आज एक शेर सुनाता हूँ शेर अर्ज़ है-

क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो
खूब गुज़रेगी जब मिल बैठेंगे दीवाने दो

दोस्तो, इस शेर के बारे में बातचीत अगले दौर में....

3 टिप्‍पणियां:

  1. हम तो अब भी मूर्खता की वेल्यू पर कायम हैं भाई.

    जवाब देंहटाएं
  2. तो फिर टिपण्णी भी अगले दौर तक मुल्तवी. आखिर मूर्खता भी इंतज़ार कर सकती है.

    जवाब देंहटाएं
  3. Hi, Really great effort. Everyone must read this article. Thanks for sharing.

    जवाब देंहटाएं

मेरी नई ग़ज़ल

 प्यारे दोस्तो, बुजुर्ग कह गए हैं कि हमेशा ग़ुस्से और आक्रोश में भरे रहना सेहत के लिए ठीक नहीं होता। इसीलिए आज पेश कर रहा हूं अपनी एक रोमांटि...