दलितों की अवस्था को सुधारने के लिए प्रयास तो गौतम बुद्ध के समय से ही शुरू हो गए थे. बुद्ध के बाद भारतीय समाज में कई संत और समाज सुधारक हुए हैं जिन्होंने दलितों की दीनदशा के लिए आंसू बहाए हैं लेकिन ज़मीनी कार्य पहली बार बाबासाहेब अम्बेडकर ने ही किया. उन्होंने यह क्रांतिकारी समझ दी कि दलितों को अपनी दशा खुद सुधारना होगी. किसी की दया पर उनकी हालत नहीं बदल सकती. इसलिए उन्हें शिक्षित होना पड़ेगा, संगठित होना पड़ेगा और नेतृत्व करना पड़ेगा. दलितों को संगठित करने के लिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया की रूपरेखा उन्होंने ही बनाई थी, यह बात और है कि पार्टी उनके महाप्रयाण के पश्चात ही अस्तित्व में आ सकी. ख़ैर..
भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार एवं भारतरत्न बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की आज ११८वीं जयन्ती है (१४ अप्रैल २००९). समाज ने उन्हें 'दलितों का मसीहा' की उपाधि भी दी है. भारतीय समाज में स्त्रियों की अवस्था सुधारने के लिए उन्होंने कई क्रांतिकारी स्थापनाएं दीं हैं. कहते हैं कि कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) का विचार डॉक्टर अम्बेडकर ही पहले पहल सामने लाये थे. डॉक्टर अम्बेडकर के योगदान को आम तौर पर सार रूप में हम सभी जानते हैं लेकिन आज मैं उनके एक और रूप से परिचित कराता हूँ. और वह रूप है उनके अर्थशास्त्री होने का.
पहले विश्वयुद्ध के बाद भारतीय मुद्रा विनिमय की व्यवस्था में आमूलचूल सुधार करने के उद्देश्य से सन् १९२४ में रॉयल कमीशन ऑफ़ इंडियन करेंसी एंड फायनांस की स्थापना लन्दन में की गयी थी. प्रख्यात अर्थशास्त्री ई. हिल्टन यंग की अध्यक्षता में यह आयोग १९२५ में भारत आया. इसमें आरएन मुखर्जी, नॉरकोट वारेन, आरए मन्ट, एमबी दादाभाय, जेसी कोयाजी और डब्ल्यू ई. प्रेस्टन जैसे विद्वानों की मंडली इस आयोग की सदस्य थी. भारतीय मुद्रा विनिमय की व्यवस्था में सुधार के अंगों को चिह्नित करने के लिए इस आयोग ने ९ प्रश्नों की एक सूची तैयार की और सम्पूर्ण भारत की अवस्था के मद्देनजर विचार-विमर्श करने लगे.
इसी सिलसिले में १५ दिसम्बर सन् १९२५ को डॉक्टर अम्बेडकर ने इस आयोग के सामने पूरी प्रश्नावली को लेकर अपने बिन्दुवार और आँख खोल देने वाले स्पष्ट विचार रखे. इस प्रश्नावली का चौथा प्रश्नसमूह था- 'निश्चित की गयी विनिमय दर पर रुपये को दीर्घकाल तक स्थिर रखने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए? विश्वयुद्ध के पहले से चली आ रही सुवर्ण विनिमय प्रणाली (Gold Exchange Standard System) इसी रूप में आगे चलानी चाहिए या इसमें कुछ फेरबदल किए जाएँ? स्वर्ण भण्डार का स्वरूप क्या होना चाहिए? यह भण्डार कितना होना चाहिए तथा कहाँ रखा जाना चाहिए?'
प्रश्न क्रमांक ४ के उत्तर में डॉक्टर अम्बेडकर ने आयोग को बिन्दुवार समझाया था कि स्वर्ण विनिमय प्रणाली जनता की भलाई में किस प्रकार बाधक है, यह प्रणाली असुरक्षित क्यों है, और कैसे अस्थिर है. उन्होंने यह भी समझाया कि इस विनिमय प्रणाली के तहत सरकार को मिली नोट छापने की खुली छूट जनता के लिए किस तरह नुकसानदायक है. डॉक्टर अम्बेडकर की आयोग के साथ चली यह प्रश्नोत्तरी मिनिट्स ऑफ़ इवीडेन्स में दर्ज़ है.
मिनिट्स में दर्ज़ बयान के छठवे बिंदु में आम्बेडकर ने तत्कालीन समाज व्यवस्था, अर्थव्यवस्था की औद्योगिक एवं व्यापारिक परिस्थिति, प्राकृतिक आपदा, जनता की सहूलियत, लोगों के स्वभाव और सम्पूर्ण जनता का हित जैसे महत्वपूर्ण पक्षों को ध्यान में रखते हुए उपाय सुझाए थे. जैसे कि उन्होंने कहा था कि टकसाल में उचित मूल्य वाली स्वर्ण मुद्राएँ ही ढाली जाएँ. इसके अलावा इन स्वर्ण मुद्राओं तथा प्रचलित रुपये का परस्पर विनिमय मूल्य पक्का किया जाए. उन्होंने यह सुझाव भी दिया था कि प्रचलित रुपया सोने के सिक्के में परिवर्त्तनीय नहीं होना चाहिए, इसी तरह सोने का सिक्का भी प्रचलित रुपये के स्वरूप में परिवर्त्तनीय नहीं होना चाहिए. होना यह चाहिए कि दोनों का परस्पर मूल्य निश्चित करके पूर्ण रूप से दोनों को नियमानुसार चलन में लाया जाना चाहिए.
डॉक्टर आंबेडकर जानते थे कि भारतीय जनता की भलाई के लिए रुपये की कीमत स्थिर रखी जानी चाहिए. लेकिन रुपये की यह कीमत सोने की कीमत से स्थिर न रखते हुए सोने की क्रय शक्ति के मुकाबले स्थिर रखी जानी चाहिए. इसके साथ-साथ यह कीमत भारत में उपलब्ध वस्तुओं के मुकाबले स्थिर रखी जानी चाहिए ताकि बढ़ती हुई महंगाई की मार गरीब भारतीय जनता को बड़े पैमाने पर न झेलनी पड़े. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने आयोग के सामने कहा था कि रुपये की अस्थिर दर के कारण वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं लेकिन उतनी ही तेजी से मजदूरी अथवा वेतन नहीं बढ़ता है. इससे जनता का नुकसान होता है और जमाखोरों का फ़ायदा.
रॉयल कमीशन ऑफ़ इंडियन करेंसी एंड फायनांस के सामने दिए गए डॉक्टर अम्बेडकर के तर्कों को पढ़कर कहा जा सकता है कि भारत के आर्थिक इतिहास का वह एक महत्वपूर्ण पन्ना है.